सोमवार, नवंबर 13, 2017

दुख पराये नहीं होते

दुख पराये नहीं होते
बहुत खास होते हैं
अपनों से भी अधिक
जैसे
पुरुष के लिए प्रेमिका
स्त्री के लिए प्रेमी

प्रेम का रस
खट्टा मीठा होता है

एक चींटी
अपने सिर पर
अपने वजन से भी अधिक
बोझ रखकर जब दुखों से लड़ती
पहाड़ पर चढ़ कर
जीत की घोषणा करती है
विजेता उसी दिन बनती है----

" ज्योति खरे "

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